फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम विजया एकादशी है। इसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य को विजय प्राप्त होती है।
विजया एकादशी के महात्म्य के श्रवण व पठन से समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं।
जो मनुष्य विजया एकादशी का व्रत रखता है उसके पितृ और पूर्वज कुयोनि को त्याग स्वर्ग लोक जाते हैं
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पद्म पुराण के उत्तरखंड में एकादशी व्रत की विधि और कथाओं का वर्णन किया गया ह। इसमें बताया गया है कि विजया एकादशी का व्रत महान पुण्य देने वाला है और इस व्रत को करने से व्यक्ति को अपने शत्रुओं को परास्त करने और सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है, इसलिए इस एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता हे। साथ ही इस व्रत को करने से पूर्व जन्म के पापों से भी छुटकारा मिल जाता है।
फाल्गुन माह में विष्णु भगवान की पूजा का विशेष विधान माना जाता है वहीं, एकादशी के दिन भी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का नियम है। इसी कारण से विजया एकादशी के दिन दोनों की साथ में पूजा करें।
भगवन विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती उतारें और पूरा दिन दिन उनके भजन कीर्तन में खुद को समर्पित कर दें। शाम के समय श्री हरि और माता लक्ष्मी की संध्या आरती कर मनोकामना मांगे।
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